१०० वर्षो से भी अधिक समय से किरठल में अटल खड़ा हुआ जैन संस्कृति की महानता को दर्शाता श्री दिगम्बर जैन मंदिर आज एक महान तीर्थ के रूप में तेजी से विकसित हुआ है और अतिशय से भरपूर इस धरोहर पर जैन समझ ही नहीं अपितु गाँव के प्रत्येक व्यक्ति को इठलाता हुआ देखा जा सकता हैं| १०० वर्षो से अधिक की आयु वाला यह श्री दिगम्बर जैन मंदिर मुख्यत यहाँ राजस्थान के किसी खंडित हुए जैन मंदिर से लायी हुई तीन मुख्य जिन प्रतिमाओ के कारण लोगो की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ हैं| ये जिन प्रतिमा जी है काले पाषाण में गढ़ी १००८ श्री मुनि सुव्रत नाथ जी, गेरुवे पाषाण में गढ़ी हुई १००८ श्री पदम प्रभु जी और काले ही पाषाण में निर्मित १००८ श्री मुनि नेमिनाथ भगवन जी की जिन प्रतिमा| इसके अतिरिक्त मुख्य वेदी में भगवान १००८ श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ की भी ५०० वर्षो से अधिक पुरातन श्वेत वर्ण की अनुपम प्रतिमा जी के दर्शन मात्र से जो असीम सुख और शांति की अनुभूति होती है वह अनुपम हैं| आप इनके चित्रों के लिए चित्र मजूषा (फोटो अल्बम) को देखना ना भूले|