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पावन सानिध्य

यहाँ का जैन समाज आज से ही नहीं अपितु पुरातन काल से ही अपनी संस्कृति की रक्षा में निस्वार्थ भाव से लगा हुआ है| यहाँ आये हुए जैन समाज के प्रत्येक अतिथि का पूर्ण आदर भाव से सेवा करने का प्रयास रहा है और इतना ही नहीं जैन आगम की महत्ता को समझने और जैन आगम को सिखने और अपने आचरण में लाने हेतु सदा प्रयासरत रहा हैं यहाँ का जैन समाज| यही कारण है की इस क्षेत्र से विहार करने वाला कोई भी जैन साधु – संत किरठल गाँव में भले ही १-२ दिन का समय सेवा का दे परन्तु यहाँ के जैन समाज को प्रोत्साहित जरुर करता है| यही कारण है की जैन संत परंपरा के महान साधको का समागम यहाँ समय समय पर होता रहा है| इनमे मुख्यत नाम हैं- मुनि श्री १०८ विधानंद जी, उपाध्याय श्री नयन सागर जी, मुनि श्री निर्णय सागर जी, मुनि श्री ज्ञान सागर जी, एलक श्री विज्ञानं सागर जी, एलक श्री समर्पण सागर जी, मुनि श्री काम कुमार नंदी जी, आरियका स्वस्ति भूषण माता जी और श्रृष्टि भूषण माता जी, मुनि श्री सरल सागर जी महाराज, मुनि श्री ज्ञान भूषण जी महाराज, आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज, मुनि श्री प्रार्थना सागर जी महाराज, मुनि श्री सरल सागर जी महाराज, बाल ब्रह्मचारी श्री मनोहर जी और बहुत से वो संत जिनका अभिलेख शायद हमे ना मिल पाया हो……|

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